चौहान वंश के बारे में आप क्या जानते हैं

चौहान वंश के बारे में आज आपको जानकारी देते हैं किस प्रकार से चौहान वंश की उत्पत्ति हुई है इसके बारे में पूरी जानकारी आपको आगे दिए गए लाइनों में दी जाती है इसके बारे में आपको ग्रंथों के द्वारा भी जानकारी दी जाएगी किस लेखक ने क्या ग्रंथ लिखा है

चौहान वंश के ग्रंथ और उसके लेखक

ग्रंथलेखक
पृथ्वीराज रासौ चन्द्रवरदाई
पृथ्वीराज विजय जयानक
बीसलदेव रासौ नरपतिना
हम्मीर रासौ जोधराज / सारगधर
ललित विग्रहराज सोमदेव
हम्मीर महाकाव्य नयन चन्द्र सूरी
हम्मीर हठ चन्द्रशेखर
हम्मीरायण भाडऊ व्यास
हम्मीर बंधन अमृत कैलाश
हम्मीर चौपाई मण्डन विजय सा
कान्हड़देव प्रबन्ध पद्मनाश
वीरमदेव सोनगरा री बात पद्मनाथ
खजाइन उल फतूह (तारीख-ए-अलाई) अमीर खुसरो
ताज-उल- मासिर हसन निजामी
तबकाते नासिरी मिनहाल उस – सिराज
अचलदास खींची री वचनिका शिवदास गाडण

बिजौलिया अभिलेख :-

1170, भीलवाड़ा

उत्कीर्णकर्ता – सोमेश्वर चौहान
लेखक :- गुणभद्र

  • पार्श्वनाथ के मंदिर के पास जैन त्रावक लोलाक ने लगवाया था।
  • इस अभिलेख मे चौहान वंश के शासकों को वत्सगौत्रिय ब्राह्मण बताया गया है।
  • पृथ्वीराज चौहान -3 को छोड़कर अजमेर व सांभर के सभी चौहान शासकों की वंशावली का उल्लेख मिलता हैं।
  • SSI ई. में वासुदेव चौहान ने सांभर झील का निर्माण कराया था ।
  • विवाहवाज -4 ने दिल्ली के तौमर वंशीय शासक तवरपाल की पराजित कर दिल्ली पर अधिकार कर लिया था।
  • इस अभिलेख में कुछ शहरों के नाम मिलते हैं:-
स्थान प्राचीन नाम
1. बिजौलिया विजयावली
2. ऊपरमाल उत्तमारदी
3. जालौर जाबालीपुर
4. भीनमाल श्रीमाल
5. सांभर संपादलभ
6. नागौर अहिछत्रपुर

पृथ्वीराज विजय – जयानक

हम्मीर महाकाव्य – नयन चन्द्र सूरी

चौहान वंश के शासकों को सूर्यवंशी मानते हैं।

हांसी अभिलेख – हरियाणा

अचलेश्वर अभिलेख – सिरोही

चौहानों को चन्द्रवंशी बताया गया है।

  • चौहान वंश का मूल केन्द्र – सांभर / सपादलक्ष | शाकम्भरी
  • सांभर क्षेत्र में सवा लाख गांवों का समूह होने के कारण संपादलक्ष कहा जाता है
  • चौहानों की प्रथम राजधानी :- अहिच्छत्रपुर थी ।

वासुदेव चौहान :-

  • चौहान वंश का संस्थापक था
  • चौहानो का मूल पुरुष / आदि पुरुष
  • बिजलिया अभिलेख के अनुसार वासुदेव चौहान ने SSIई. में ‘सांभर झील’ का निर्माण करवाया था।
  • इनकी प्रथम राजधानी थी।

गुवक-I :-

  • यह प्रतिहार वंश के शासक नागभट्ट -2 का सामंत था ।
  • प्रतिदावों की सामंत प्रथा से स्वतंत्र होने वाला प्रथम शासक था
  • चौहानो के ईष्ट देव हर्षनाथ मंदिर का निर्माण सीकर जिले में करवाया था।

सिद्धराज / सिंहराज :-

  • चौहान वंश का प्रथम स्वतंत्र शासक था
  • उपाधि :- ‘महाराजाधिराज

वाक पतिराज :-

  • वाकपतिराज ने कुल 108 युद्ध लड़े थे।
  • वाकपतिराज के पुत्र लक्ष्मण देव चौहान ने 950 ई. में नाडौल (पाली) मे चौहान वंश की स्थापना की थी।

विग्रहराज – II :-

  • 913 ई. में हर्षनाथ मंदिर पर सीकर जिले में ‘हर्षनाथ प्रशस्ति उत्कीर्ण करवायी थी।
  • चालुक्य वंशीय शासक मूलराज-1 को पराजित कर लगान देने के लिए बाध्य किया था।
  • भड़ौच में चौहानों की कुल देवी ‘आशापुरा माता’ के मंदिर का निर्माण करवाया था।

उपाधि :- ‘खुर रंजोहार’

गोविन्द -3 :-

उपाधि :- वैरीघट्ट

पृथ्वीराज – 1 :-

  • पृथ्वीराज ने उन 700 चालुक्यों को मौत के घाट उतार दिया था जो पुष्कर के ब्राह्माणों को लूटने के लिए आये थे।
  • उपाधि :- ‘परमभट्टारकमहाराजाधिराजपरमेश्वर’
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