रणथम्भौर में चौहान वंश के बारे में आगे आपको बताया गया है किस प्रकार चौहान वंश रणथम्भौर में अपनी शुरुआत की थी
रणथम्भौर में चौहान वंश :-
- सवाईमाधोपुर जिले में
- शहर की स्थापना :- 1763 ई. सवाई माधोसिंह
- रणथम्भौर का प्राचील नाम:- रणस्तम्भपुर
- रणथम्भौर में चौहान वंश का संस्थापक : गोविन्द राज चौहान
स्थापना :- 1194 ई. (12वीं शताब्दी)
गोविन्दराज |
वल्लन देव |
प्रहलादन |
वीरनारायण |
जैत्र सिंह |
हम्मीरदेव चौहान |
हम्मीरदेव चौहान :- 1282-1301
- रणथम्भौर में चौहान वंश का अंतिम महत्वपूर्ण शासक था
- हम्मीरदेव ने अपने जीवन में कुल 17 युद्ध लड़े थे जिनमें से 16 युद्धों का विजेता था।
- हम्मीर की प्रथम विजय भीमरम विजय श्री जिसके शासक अर्जुन को पराजित किया था।
- हामीर का प्रसिद्ध दरबारी विद्वान:- बीजादित्य
- हम्मीरदेव ने रणथम्भौर दुर्ग में कोटियजन यज्ञ का आयोजन किया था जिसके प्रधान पुरोहित विश्वरूप थे।
- इम्मीरदेव के सेनापति :- गुरुदास सैनी, भीमसिंह, धर्म सिंह, रणमल, रतिपाल
- हम्मीरदेव के समय दिल्ली के सुल्तान जलालुद्दीन खिलजी ने रणथम्भौर पर दो बार आक्रमण किया था।
- प्रथम आक्रमण 1290 ई. में किया था जिसमें रणथम्भौर दुर्ग की कुंजी झाइन दुर्ग पर अधिकार कर लिया था।
- इस अभियान में हम्मीर का सेनापति गुरुदास सैनी मारा गया था।
- 1292 मे जलालुद्दीन ने रणथम्भौर पर दूसरा असफल आक्रमण किया था।
- जलालुद्दीन खिलजी ने रणथम्भौर दुर्ग के संदर्भ में कहा था मैं ऐसे दस दुर्गो को मुसलमान के एक बाल के बराबर नहीं समझता।
- जलालुद्दीन के अभियानों की जानकारी अमीर खुसरो की पुस्तक ‘मिफ्ता – उल – फतुऊ‘ में मिलती हैं।
अलाउद्दीन का रणथम्भौर पर आक्रमण :- 1301
- आक्रमण का कारण :- A.k. के विद्रोही सेनापतियों मोहम्मद शाह व केहब्रू को हम्मीर देव चौहान द्वारा शरण देना था
- इस अभियान के नेतृत्वकर्ता – नुसरत खाँ, उलूग खां, अल्प खां
- इस आक्रमण में A. k. का सिद्ध सेनापति नुसरत खाँ मारा गया था।
- हम्मीरदेव चौहान का सेनापति भीमसिंह मारा गया था तथा धर्म सिंह को हम्मीर देव ने अंधा करवा दिया था।
- 11 July 1301 ई. को A.k. के आक्रमण के कारण हम्मीर देव चौहान व उनके दो प्रसिद्ध सेनापति रणमल व रतिपाल लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे। तथा हम्मीर की पत्नी रानी रंगदेवी के नेतृत्व मे जल जौहर किया गया था। इस कारण इगसम्मौर दुर्ग मे साका हुआ था जिसे राजस्थान का प्रथम साका कहा जाता हैं।
- हम्मीरदेव की पुत्री देवलदे ने पदमला तालाब में कूदकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर दी थी।
- A.k. ने रणथम्भौर का प्रशासक उलूग खाँ को बनाया था।
- सेना का नेतृत्वकर्ता भी उलूग खाँ ( अल मास्क बेग )
- अमीर खुसरो ने रणथम्भौर दुर्ग के संदर्भ में कहा था “आज कुफ्र का गढ़ इस्लाम का घर हो गया।”
- अमीर खुसरो का कथन इस प्रकार का है – “अलाउद्दीन के आक्रमण के समय रणथम्भौर दुर्ग में दो सोने के दानों के बदले एक चावल का दाना भी नसीब नही होता था।“
- हम्मीरदेव चौहान ने अपने पिता जैत्र सिंह के 32 साल के शासनकाल की याद मे 32 खम्भों की छतरी रणथम्भौर दुर्ग मे बनवायी थी जिसे ‘न्याय की छतरी‘ के नाम से जाना जाता हैं।
- हम्मीर के गुरु का नाम राघव देव था।
FAQ
गोविंद राज चौहान को रणथम्भौर के चौहान वंश का संस्थापक बताया गया है
1194 ईसवी में (12 वीं शताब्दी के लगभग)
हम्मीर देव चौहान (1282-1301) को रणथम्भौर का अंतिम महत्वपूर्ण शासक बताया गया है
1301 में रणथम्भौर पर आक्रमण हुआ था अलाउद्दीन के द्वारा
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